दुनिया के सबसे पुराने खेल कबड्डी के सामान्य नियम-कानून और स्कोरिंग का तरीका जानिए।
भारत का पारंपरिक खेल कबड्डी दुनिया का सबसे पुराना खेल है, जिसका इतिहास 4000 वर्ष पुराना है।
बर्लिन ओलंपिक 1936 में कबड्डी को प्रदर्शनी खेल के रूप में शामिल किया गया था। बीते कुछ वर्षों से कबड्डी की लोकप्रियता में बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। साल 1951 और 1982 के एशियाई खेलों में प्रदर्शनी खेल के रूप में इसे शामिल किया गया और साल 1990 में इस खेल को स्थाई रूप से मेडल गेम के रूप में जगह मिल गई।
चीन के हांगझोऊ शहर में एशियाई खेल 2022 में कबड्डी मुख्य खेलों का हिस्सा है।
दर्शकों की निगाह से देखें तो कबड्डी तेज़ी, आक्रामकता और ताक़त का खेल है। भारत में साल 2014 में शुरु हुए फ्रेंचाइज़ी आधारित प्रो कबड्डी लीग ने इस खेल की लोकप्रियता को ग्लोबल स्तर तक पहुंचाने में योगदान दिया है।
जो लोग इस खेल के बारे में ज़्यादा नहीं जानते हैं और इसे खेलना चाहते हैं, तो उनको हम कबड्डी के नियमों और खेल को कैसे खेलना है जैसे सभी सवालों का जवाब यहां दे रहे हैं।
कबड्डी को समझने के लिए सबसे पहले कबड्डी मैट की मूल बनावट को समझना होगा।
हालांकि पारंपरिक कबड्डी नरम मिट्टी पर खेली जाती है, लेकिन लोकप्रिय कबड्डी प्रतियोगिताएं वर्तमान में आयताकार गद्देदार कबड्डी मैट पर खेली जाती हैं।
कबड्डी मैट की लंबाई-चौड़ाई या यूं कहें आयाम टूर्नामेंट और आयु वर्ग के हिसाब से होती है, लेकिन सीनियर लेवल पर पुरुष पेशेवर कबड्डी स्पर्धाओं के लिए मैट ज्यादातर 13 मीटर लंबे और 10 मीटर चौड़े होते हैं, वहीं महिलाओं के लिए मैट की लंबाई 12 मीटर और चौड़ाई 8 मीटर होती है।
कबड्डी मैट पर चार आउटर लाइन होती हैं, जिसे सीमा रेखा अथवा अंतिम लाइन कहा जाता है। नियम के मुताबिक पूरा खेल सीमा रेखा के अंदर खेला जाना चाहिए।
आयताकार कोर्ट को एक रेखा खींचकर दो भागों में बांटा जाता है, जो मैट की सीमारेखा के समानांतर खींची जाती है।
प्रत्येक हाफ में मध्य रेखा के समानांतर दो और रेखाएं खींची जाती हैं। बॉक लाइन मध्य रेखा से 3.75 मीटर की दूरी पर होती है, जबकि बोनस लाइन बॉक लाइन से 1 मीटर आगे (बॉक लाइन और एंड लाइन के बीच) खींची जाती है।
मैट की पूरी लंबाई के साथ एक मीटर के भीतर दो लाइन होती है, जिससे मैट पर दो चैनल बनते हैं और उन्हें लॉबी कहा जाता है। कई बार ऐसा देखा गया कि मैट पर लॉबी को दो अलग-अलग रंग में खींचा जाता है।
एक कबड्डी मैच आमतौर पर 40 मिनट (प्रत्येक 20 मिनट के दो भाग) तक चलता है।
मैच की शुरुआत दो टीमों के बीच सिक्के के टॉस से होती है और विजेता यह तय कर सकता है कि पहले रेड करना है या डिफेंड करना है।
प्रत्येक टीम को प्रत्येक हाफ में दो टाइम-आउट की अनुमति होती है।
कबड्डी मैच में प्रत्येक टीम में सात खिलाड़ी होते हैं। टीमों में बेंच पर तीन से पांच सब्स्टीट्यूट खिलाड़ी के तौर पर होते हैं। कबड्डी टीम में मौजूद सभी सात खिलाड़ी डिफेंस भी करते हैं। इन खिलाड़ियों में रेडर और डिफेंडर खिलाड़ी शामिल होते हैं। इसके अलावा इसमें से कुछ खिलाड़ी ऑलराउंडर भी होते हैं, जो रेडर और डिफेंडर दोनों की भूमिका निभाते हैं।
रेडर: कबड्डी टीम में रेडर खिलाड़ी वो होते हैं, जो विपक्षी मैट पर जाकर रेड करते हैं और अपनी टीम के लिए अंक हासिल करने की कोशिश करते हैं।
डिफेंडर: डिफेंडर खिलाड़ी टीम में रहकर विपक्षी टीम की रेड के दौरान अपनी टीम को डिफेंस करते हैं।
कबड्डी मैच की शुरुआत एक टीम द्वारा दूसरी टीम के हाफ में रेड करने से होती है।
रेड का मतलब जब एक टीम का खिलाड़ी दूसरे खेमे में कबड्डी बोलने यानी हमला करने जाता है, उसे रेडर कहा जाता है। रेडर कबड्डी शब्द बोलते हुए दूसरी टीम के हाफ में प्रवेश करता है, जिसे कैंटिंग भी कहा जाता है।
रेडर का उद्देश्य जितना संभव हो उतने विपक्षी खिलाड़ियों को टैग करना या छूना होता है, जिन्हें एंटी या डिफेंडर कहा जाता है और एक सांस में अपने कैंट को जारी रखते हुए मध्य रेखा को पार करके रेडर अपने हिस्से में लौट आते हैं।
इस बीच डिफेंडर रेडर को कोर्ट से टैकल करके या धक्का देकर अपने ही हाफ में लौटने से रोकने की कोशिश करते हैं।
टीमें बारी-बारी से एक-दूसरे के खिलाफ रेड करती हैं और जिस टीम को सबसे अधिक अंक मिलते हैं वह मैच की विजेता बनती है।
एक रेडर के पास रेड के दौरान अंक हासिल करने के दो तरीके होते हैं।
पहला तरीका रेडर जब कबड्डी बोलने जाता है और विपक्षी खेमे के खिलाड़ी को टच करके सफलतापूर्वक अपने हाफ में लौट आता है तब उसे टच प्वाइंट मिलता है।
यदि टच प्वाइंट स्कोर हो जाता है, तो रेड के दौरान टैग किए गए विपक्षी या डिफेंडर मैट से बाहर हो जाते हैं। तब रेडर को उतने टच प्वाइंट मिलते हैं, जितने खिलाड़ी उसने रेड के दौरान मैट से बाहर कर दिए हों।
कबड्डी में एलिमिनेट हुए खिलाड़ी दोबारा मैट पर आ सकते हैं, अगर उनकी टीम के रेडर विपक्षी खेमे में जाकर रेड के दौरान टच प्वाइंट अर्जित करें या विपक्षी रेडर को अपने हाफ में ही दबोच लें और वह अपनी रेड पूरी नहीं कर पाएं।
दोबारा रेडर या डिफेंडर के वापस आने की प्रक्रिया वैसी ही होती है, जैसी एलिमिनेट होने की होती है।
उसी तरह जैसे एक रेडर कबड्डी बोलने के दौरान विपक्षी डिफेंडर के दौरा टैकल कर लिया जाता है, तब डिफेंडिंग टीम को एक प्वाइंट मिलता है और इसे आधुनिक कबड्डी में टैकल प्वाइंट कहा जाता है।
यदि कोई रेडर रेड के दौरान उसका कैंट यानी उसकी सांस टूट जाती है, वह आउट हो जाता है और डिफेंडिंग टीम को इस तरह एक प्वाइंट मिल जाता है।
अगर एक टीम विपक्षी टीम के सभी सात खिलाड़ियों को एलिमिनेट करने में सफल हो जाती है, तो उसे ऑलआउट या लोना करने के लिए दो अतिरिक्त अंक दिए जाते हैं। टीम के लोना या ऑलआउट होने के बाद सभी खिलाड़ी जीवित हो जाते हैं और खेल दोबारा शुरू हो जाता है।
ये ध्यान देने वाली बात है कि एक रेडर बिना एलिमिनेट हुए भी वापस अपने खेमे में लौट सकता है, यदि वह बॉक लाइन (या तो दोनों पैर बॉक लाइन के पार हों या उनका एक पैर बॉक लाइन के पार हो, जबकि उनका दूसरा पैर हवा में हो) को पार करने में सफल होता है। केवल बॉक लाइन को पार करके भी वह सुरक्षित वापस लौट सकता है, लेकिन उसे कोई प्वाइंट नहीं मिलेगा। साथ ही ऐसे में उसका कोई भी साथी रिवाइव भी नहीं होगा, इसे एंप्टी रेड कहते हैं।
एक और तरीके से रेडर स्कोर कर सकता है और बोनस प्वाइंट हासिल कर सकता है। इसके लिए रेडर को एक पैर बोनस लाइन तक पहुंचाना होता है, जबकि दूसरा पैर हवा में लहराना होता है। हालांकि बोनस प्वाइंट तभी एक्टिव होता है, जब डिफेंडिंग टीम के खेमे में कम से कम या उससे ज्यादा खिलाड़ी मैट पर मौजूद रहें।
साथ ही खेल के इस पूरे सीक्वेंस के दौरान यदि कोई डिफेंडर या रेडर सीमा रेखा के बाहर कदम रखता है, तो वह आउट हो जाता है और विपक्षी टीम को एक अंक और एक खिलाड़ी को रिवाइवल करने का मौका मिलता है। लॉबी क्षेत्र भी खेल की सीमा से बाहर माना जाता है जब तक कि डिफेंडर रेडर के साथ संपर्क नहीं करता, इसे स्ट्रग्ल भी कहा जाता है।
स्ट्रग्ल से पहले लॉबी में कदम रखने से मैट की सीमाओं के बाहर कदम रखने के समान पेनल्टी का प्रावधान होता है।
अगर नॉकआउट कबड्डी मुकाबला टाई हो जाता है, तब फैसले के लिए सात मिनट का मिनी मैच खेला जाता है, जो दो हिस्से में होता है। फिर भी परिणाम नहीं निकलता है तब मैच का फैसला गोल्डन रेड से निकाला जाता है, जहां एक बॉक लाइन दूसरी बॉक लाइन तक जाती है।
यदि गोल्डन रेड के बाद भी मैच ड्रॉ होता है, तो विजेता का फैसला सिक्का उछालकर किया जाता है।
साल 2014 में प्रो कबड्डी लीग के आयोजन के बाद इस खेल के प्रति आकर्षण बढ़ाने के लिए कबड्डी के नियमों में कुछ बदलाव किए गए। इनमें से कुछ नियमों को अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में कई मौकों पर प्रयोग के रूप में लागू किया गया है।
उदाहरण के लिए प्रो कबड्डी में प्रत्येक रेड के लिए 30 सेकंड की समय सीमा होती है और करो या मरो रेड भी होती है, जिसका अर्थ है कि लगातार तीन खाली रेड के बाद रेडर को आउट करार दिया जाता है और विपक्ष को इस मार्फत एक अंक मिलता है।
सुपर रेड (जहां एक रेडर एक रेड से तीन या अधिक अंक प्राप्त करता है), सुपर टैकल (जहां तीन या उससे कम डिफेंडर एक सफल टैकल करते हैं) इस तरह के ब्रांडिंग तत्व भी खेल में आ गए हैं।
कबड्डी खेलने की पोजीशन जैसे कॉर्नर (डिफेंडर चेन के अंतिम छोर पर डिफेंडर) और कवर (कोनों के ठीक अंदर खेलने वाले डिफेंडर) शब्द भी गढ़े गए हैं। कबड्डी मूव्स जैसे फ्रॉग जंप, एंकल होल्ड, टो टच, डुबकी आदि भी प्रो कबड्डी के बाद से कबड्डी शब्दावली का हिस्सा बनते जा रहे हैं।